Monday, June 7, 2010

बादल ये बरसता क्यों


*बादल ये बरसता क्यों*

बादल ये बरसता क्यों,
दिल ये मेरा तरसता क्यों।
पल दो पल की बात हे ये,
पागल नहीं सम्हजता क्यों||

आसमा को हे ताकता क्यों,
बूंदों से झगड़ता क्यों,
नींद क्यों नहीं आये रत भर,
तस्वीर में तेरी तकता क्यों ||

समुन्दर पे हे बरसता तू,
क्यों उस दिल में नहीं गरजता तू|
छोड के मेरी चांदनी,
तेरी बूंदों में वो भीगे क्यों ||

लगे तू मुजहे रकीब सा,
मेरी दुश्मनी हे तुज्हसे क्यों|
जब छोटी छोटी बात पे लढ़ के,
तेरी बारिश में वो रोये क्यों||

क्यों प्यार करे वो बूंदों से,
ए बादल घिरके आये क्यों|
न समझ पाई वो मेरे बोल,
ए पागल उसे समझाए क्यों||

मुझे हे तेरी जरुरत आब,
आज खूब जोर से बरसना तू|
छुप जाये ए सरे आसू,
वो छोड के मुझको जाये क्यों||